आज का दिन : 10 दिसंबर, 2019
मानवाधिकार दिवस
(Human Rights Day)
- 10 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा पत्र को आधिकारिक मान्यता प्रदान की थी।
- संयुक्त राष्ट्र ने सन् 1950 में 10 दिसंबर को प्रतिवर्ष 'मानवाधिकार दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की।
- मानवाधिकार दिवस को मनाने का उद्देश्य धरती के प्रत्येक मानव को जीवन, स्वतंत्रता, न्याय, समानता और सम्मान सबका अधिकार मिले, यही प्रयास करना है। इन मौलिक अधिकारों का प्रत्येक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से हकदार है और ये अधिकार कानून द्वारा संरक्षित भी हैं।
- भारत में 28 सितंबर, 1993 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम अस्तित्व में आया।
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत 12 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं। जैसे बाल मजदूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार आदि।
- वर्तमान यानी सन् 2019 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच एल दत्तू हैं।
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत राज्यों को राज्य मानवाधिकार आयोग गठन का अधिकार दिया गया।
- वर्ष 2018 में मानवाधिकार घोषणा पत्र के 70 वर्ष पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष भर '#Standup4humanrights' कैंपेन चलाया था।
संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकार आयोग की स्थापना वर्ष 1946-47 में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् की एक कार्यात्मक समिति के रूप में की थी।
- दिसम्बर 1993 में महासभा ने मानवाधिकार गतिविधियों के प्रति जिम्मेदारी निश्चित करने के लिए मानवाधिकार उच्चायुक्त का पद सृजित किया।
- 15 मार्च, 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक नई मानवाधिकार परिषद् के गठन का प्रस्ताव पारित किया। इस 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद् ने 53 सदस्यीय मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया है। आयोग को 16 जून, 2006 को समाप्त कर दिया गया तथा 19 जून, 2006 को परिषद् प्रथम बैठक आयोजित की गई।
- न्यायसंगत भौगोलिक वितरण के आधार पर परिषद की सीटों को 5 क्षेत्रीय समूहों में बांटा गया है जो इस प्रकार हैं : अफ्रीकन देश : 13 सीट, एशिया-प्रशांत के देश - 13 सीट, पूर्वी यूरोपियन देश - 6 सीट, लैटिन अमेरिकी एवं कैरिबियन देश - 8 देश और पश्चिमी यूरोप व अन्य देश - 7 सीटें।
- संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद स्थायी है और प्रत्यक्ष रूप से महासभा के अधीनस्थ है। यह कहीं भी एवं किसी भी देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन का गहन विश्लेषण कर सकेगी।
- 12 अक्टूबर, 2018 को भारत संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद का सदस्य चुना गया। तीन साल के लिए चुने गए 18 सदस्यों में भारत एशिया-प्रशांत श्रेणी में चुना गया।
- संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद के नए सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होगा जो एक जनवरी 2019 से शुरू होगा। इससे पहले भी भारत 2011-2014 और 2014-2017 की अवधि के लिए जेनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद के लिए चुना जा चुका है। भारत का पिछला कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को खत्म हुआ था और नियमों के अनुसार भारत तत्काल उसी सीट के लिए नहीं चुना जा सकता था क्योंकि वह पहले ही लगातार 2 बार इस सीट पर चुना जा चुका था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें