आज का दिन : 5 नवंबर, 2024
विश्व सुनामी जागरूकता दिवस
(World Tsunami Awareness Day)
- प्रतिवर्ष 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जापान की पहल पर दिसंबर, 2015 में 5 नंवबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस घोषित किया।
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनडीआरआर) की ओर से यह दिवस मनाया जाता है। यूएनडीआरआर का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है और वर्तमान में इसके प्रमुख शीर्ष भारतीय अधिकारी कमल किशोर हैं। वे आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरेस के विशेष प्रतिनिधि भी हैं।
- वर्ष 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी 21वीं सदी की पहली वैश्विक आपदा थी। यह हाल के मानव इतिहास की सबसे घातक आपदाओं में से एक है। इस सुनामी के कहर को झेलने के बाद सुनामी की पूर्व चेतावनी प्रणाली का तीव्र गति से विकास किया गया, जिससे हिंद महासागर के आसपास के 27 देशों को लाभ हुआ।
- यूएनडीआरआर के अनुसार पिछले 100 वर्षों में अब तक 58 से ज्यादा बार सुनामी की घटनाएं हो चुकी हैं, इनमें 2,60,000 ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। इनमें सबसे ज्यादा जनहानि दिसंबर, 2004 में आई सुनामी में हुई थीं। इसमें लगभग 2,30,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। लगभग 14 देश इससे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए थे।
- 2004 की सुनामी के कुछ ही दिन बाद जापान के ह्योगो क्षेत्र के कोबे में दुनिया के देश एकत्रित हुए और 10 वर्षीय ह्योगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन को अपनाया। यह आपका जोखिम न्यूनीकरण पर पहला व्यापक वैश्विक समझौता था। ह्योगो में ही हिंद महासागर सुनामी चेतावनी और न्यूनीकरण प्रणाली भी बनाई गई। इस प्रणाली के तहत दर्जनों भूकंपीय और समुद्र-स्तर निगरानी स्टेशन हैं जो विभिन्न देशों के सुनामी सूचना केंद्रों को चेतावनी प्रसारित करता है।
- दुनिया में आपदाओं को रोकने और उनका प्रभाव कम करने के लिए मार्च 2015 में 15 वर्ष के लिए लागू 'आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 के लिए सेंदाई फ्रेमवर्क' में भी सुनामी को शामिल किया गया।
भारत में सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली
- 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद भारत सरकार ने प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने का निर्णय लिया। इस परियोजना की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र को सौंपी गई।
- भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली का नेटवक बहुत बड़ा है। इसमें भूकंपीय स्टेशन, बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर, ज्वार मापक और 24 घंटे चलने वाले सुनामी चेतावनी केंद्रों शामिल हैं। ये सभी सुनामी उत्पन्न करने वाले भूकंपों का पता लगाने के साथ ही लोगों को जागरुक करने का काम करते हैं, जिससे आने वाली सुनामी से जान-माल की अधिकतम रक्षा की जा सके।
- वर्तमान में भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।
क्या है सुनामी
- सामान्य शब्दों में कहें तो सुनामी समुद्र में भूकंप आने या अन्य गड़बडिय़ों की वजह से विशाल लहरों की एक शृंखला है, जो तटीय इलाकों में कहर बरपाती है।
- सुनामी शब्द जापनी शब्दों 'त्सु' (बंदरगाह) और 'नामी' (लहर) से मिलकर बना है।
- समुद्र में या उसके पास भूकंप सुनामी का मुख्य कारण है। भूकंप की तीव्रता भी रिक्टर पैमाने पर कम से कम 6.5 होनी चाहिए।
- इसके अलावा भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र में क्षुद्रग्रह, उल्का आदि के गिरने से भी सुनामी आ सकती है।
- सुनामी में लहरें पानी की दीवारों की तरह दिखती हैं और तटरेखा पर हमला करती हैं। ये लहरें हर 5 से 60 मिनट में आती हैं।
- सुनामी के दौरान पहली लहर शायद सबसे बड़ी न हो, लेकिन दूसरी, तीसरी, चौथी या उससे भी बाद की लहरें बहुत बड़ी होती हैं।
*विश्व सुनामी जागरूकता दिवस-2024 का विषय/थीम*
Empowering the next generation with the lessons of the 2004 Indian Ocean Tsunami
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