घटना दिनांक : 15 दिसंबर, 2018
- मिजोरम विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत जीत के बाद मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष जोरामथंगा मिजोरम ने 15 दिसंबर, 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने कांग्रेस के ललथनहवला का स्थान लिया है।
- जोरामथंगा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। वे 1998 से 2003 और 2003 से 2008 तक राज्य की कमान संभाल चुके हैं।
- मिजोरम राज्य विधानसभा की 40 में से 26 सीटें मिजो नेशनल फ्रंट ने जीतीं हैं। जबकि जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 8 और पिछले पांच वर्ष से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को 5 सीटें मिली हैं।
- मिजो नेशनल फ्रंट यानी एमएनएफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में सहयोगी है।
जोरामथंगा का परिचय
- जोरामथंगा 1966 से मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) से जुड़े। एमएनएफ की स्थापना लालडेंगा ने की थी और यह भारत से आजादी की मांग कर रही थी।
- एनएमएफ की बगावत पूर्वोत्तर में नगा विरोध के बाद दूसरा सबसे बड़ा विद्रोह था। आखिरकार 1986 में सरकार और एमएनएफ के बीच मिजोरम पीस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर हुए और इस समस्या का हल निकाल लिया गया।
- एमएनएफ में रहते हुए 1966 से 1986 तक करीब 20 साल तक जोरामथंगा अंडर ग्राउंड रहे।
- जोरामथंगा ने मणिपुर के डीएम कॉलेज से अंग्रेजी में ग्रेजुएशन किया है। जब वह एमएनएफ में शामिल हुए तब वह अपने नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. जब उन्हें ग्रेजुएट होने की खबर मिली तब वह जंगल में छिपे हुए थे।
- जोरामथंगा को 1969 में एमएनएफ अध्यक्ष लालडेंगा का सचिव नियुक्त किया गया था और वह एमएनएफ पार्टी के उपाध्यक्ष भी रहे। वह एमएनएफ नेता लालडेंगा के करीबी सहयोगी रहे हैं।
- एमएनएफ के झंडे तले निर्दलीय उम्मीदवारों के एक समूह ने पहली बार 1987 में 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा, जिनमें से जोरामथंगा समेत 24 उम्मीदवार निर्वाचित हुए।
- वह 1989 में हुए विधानसभा चुनावों में चम्फाई सीट से फिर से निर्वाचित हुए। लालडेंगा की 7 जुलाई,1990 को मृत्यु होने के बाद जोरामथंगा को एमएनएफ का अध्यक्ष बनाया गया और वह आज तक इस पद पर बने हुए है।
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