गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

18 अप्रेल 2024 : विश्व विरासत दिवस

विश्व विरासत दिवस

(World Heritage Day)

आज का दिन : 18 अप्रेल 2024
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World Heritage Day theme 2024
  • प्रतिवर्ष 18 अप्रेल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र के मुख्य घटक 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' यानी यूनेस्को की ओर से पहली बार विश्व विरासत दिवस 18 अप्रेल, 1983 को मनाया गया। वर्तमान में विश्व स्तर पर इसे इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा मनाया जाता है।
  • विश्व विरासत दिवस को International Day for Monuments and Sites के नाम से भी जाना जाता है।
  • हमारे पूर्वजों की अनमोल वस्तुओं को संजोकर रखना और उनके प्रति लोगों को जागरूक करना ही विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है।
  • इतिहास में जाएं तो एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 1968 ई. में विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के सामने 1972 ई. में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान रखा गया, जहां ये प्रस्ताव पारित हुआ।
  • 18 अप्रैल, 1978 ई. में विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया। यह कार्य 'यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर' के तहत किया गया। इस दिन को तब 'विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस' के रूप में मनाया जाता था।

भारत के विश्व विरासत स्थल

  • वर्ष 1983 ई. में पहली बार यूनेस्को ने भारत के चार ऐतिहासिक स्थलों ताजमहल, आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाओं को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया था। आज देश के अनेक महत्वपूर्ण स्थल यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल हैं। अब तक भारत के 42 स्थान विश्व विरासत सूची में स्थान पा चुके हैं। सितंबर, 2023 में 41वें विश्व विरासत स्थल के रूप में पश्चिम बंगाल में स्थित शांति निकेतन और 42वें स्थल के रूप में कर्नाटक स्थित 'होयसल के पवित्र मंदिर समूह' को यूनेस्को ने सूची में शामिल किया गया।

भारत के संभावित विश्व विरासत स्थल

  • भारत की ओर से 52 विश्व विरासत स्थलों के नाम यूनेस्को के पास नामांकित कराए जा चुके हैं। इनमें से हाल ही नामांकित प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं-
  • 1. लिविंग रूट ब्रिज : यह मेघालय में स्थित है। इसे जिंगकिंग जेरी के नाम से भी जाना जाता है। ग्रामीणों ने जलाशयों के किनारों पर 'फिकस इलास्टिका' वृक्ष की जड़ों से लिविंग रूट ब्रिज को विकसित किया है। वर्तमान में राज्य के 72 गांवों में लगभग 100 लिविंग रूट ब्रिज हैं।
  • 2. कोंकण क्षेत्र के भू-आकृति : महाराष्ट्र और गोवा में स्थित कोंकण क्षेत्र की भू-आकृतियों (Geoglyphs) को शैल कला भी कहा जा सकता है। कोंकण क्षेत्र का यह शैल शिल्प हजारों वर्ष पुराना माना जाता है। इनमें पशु आकृतियों का बाहुल्य है।
  • 3. श्री वीरभद्र मंदिर और विशालकाय अखंडित नंदी : आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में स्थित श्री वीरभद्र मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसका निर्माण 1583 में दो भाइयों विरन्ना और विरुपन्ना ने बनवाया था। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य की मूर्ति कला और स्थापत्य कला का एक और अनूठा उदाहरण है। यह मंदिर 70 खंभों पर खड़ा है। मंदिर का एक खंभा तो हवा में झूलता ही रहता है। इसीलिए इसे हैंगिंग टेम्पल भी कहते हैं। लेपाक्षी के बलवान मंदिर में स्थित विशालकाय नंदी की प्रतिमा एक ही पत्थर से बनाई गई है। इसकी लंबाई 27 फीटी और ऊंचाई 15 फीट है। माना जाता है कि यह भारत का सबसे बड़ा अखंड नंदी है।
  • 4. वडनगर : गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित ऐतिहासिक शहर है। इसका उल्लेख पुराणों में भी है। इस नगर को चमत्कारपुर, आनंदपुर, स्नेहपुर और विमलपुर के नाम से भी जाना जाता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस नगर की यात्रा की थी। यहां सोलंकी युग सहित कई पुरातात्विक महत्व की धरोहर मौजूद है।
  • 5. मोढेरा का सूर्य मंदिर : गुजरात के मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के बाएं किनारे पर मोढेरा सूर्य मंदिर स्थित है। इसका निर्माण चमकीले पीले बलुआ पत्थर से किया गया है। मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली के इस मंदिर में विषुव के समय सूर्य सीधे मंदिर के केंद्रीय भाग में चमकता है।
  • 6. उनाकोटी की रॉक-कट मूर्तियां : त्रिपुरा का यह स्थान भगवान शिव को समर्पित है। उनाकोटी का अर्थ है- एक करोड़ से एक कम। यहां चट्टानों को काटकर बनाई गई मूर्तियां हैं।

*विश्व विरासत दिवस-2024 का विषय/थीम*

Disasters & Conflicts Through the Lens of the Venice Charter



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