अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस
(International Day of Cooperatives)
आज का दिन : जुलाई का प्रथम शनिवार
![]() |
Cooperatives: Driving Inclusive and Sustainable Solutions for a Better World |
- संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाया जाता है।
- जुलाई, 2025 में पहला शनिवार 5 जुलाई को है। इसलिए इस दिन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाया जा रहा है।
- इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सहकारिता के प्रति लोगों को जागरूक करना और सहकारी समितियों की ओर से किए जा रहे कार्य के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करना है।
- अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (International Cooperative Alliance) ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस 1923 में मनाया। सन् 1995 में इसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रथम बार मनाया गया। तब से यह दिवस आईसीए और संयुक्त राष्ट्र की ओर से संयुक्त रूप से मनाया जाता है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह दिवस मनाने संबंधी प्रस्ताव 16 दिसंबर, 1992 को ही पारित कर दिया था।
- संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्ष 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' घोषित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह संकल्प 19 जून, 2024 को अपनाया। वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने का प्रस्ताव मंगोलिया ने प्रस्तुत किया था।
- इससे पहले वर्ष 2012 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' के रूप में मनाया गया था। इस वर्ष का विषय था- 'सहकारिता उद्यम बेहतर संसार का निर्माण करते हैं'।
- 103वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 5 जुलाई, 2025 को गुजरात के आणंद में देश के पहले राष्ट्रीय स्तर के सहकारी विश्वविद्यालय 'त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय' का भूमि पूजन और शिलान्यास करेंगे। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पेशेवर औप प्रशिक्षित श्रमबल तैयार करना है।
- वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने सतत विकास के लिए 2030 तक लोगों और पृथ्वी के लिए शांति और समृद्धि के समझौते को अपनाया था।
- आज दुनिया में हर क्षेत्र में, स्वास्थ्य, कृषि, उत्पादन, खुदरा, वित्त, आवास, रोजगार, शिक्षा, सामाजिक सेवाओं सहकारिता की भावना विद्यमान है। लगभग एक अरब से अधिक सहकारी सदस्यों ने कोरोना महामारी के दौर में एकता का प्रदर्शन किया है।
सहकारिता का इतिहास
- सहकारिता की शुरुआत 14 मार्च 1761 में स्कॉटलैंड से मानी जाती है। इसके बाद इंग्लैंड में 1844 में कपास मिलों में काम करने वाले 28 कारीगरों के एक समूह ने पहली आधुनिक सहकारी समिति स्थापित की थी।
- 19 अगस्त 1895 को इंग्लैंड के लंदन शहर में पहली सहकारी कांग्रेस का आयोजन हुआ। इसी दिन प्रथम कोऑपरेटवि कांग्रेस में 'अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (International Cooperative Alliance) की स्थापना की गई। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, इंग्लैंड, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, हॉलैंड, भारत, इटली, स्विट्जरलैंड, सर्बिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
भारत में सहकारी आंदोलन
- जो कार्य कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता, उसे सामूहिक रूप से अवश्य ही पूरा किया जा सकता। इसी सोच पर सहकारिता प्रणाली कार्य करती है। भारत में सहकारिता का इतिहास 100 साल से अधिक पुराना है।
- परतंत्र भारत में वर्ष 1904 में सहकारी साख समिति अधिनियम लागू किया गया। इसका श्रेय फेड्रिक निकल्सन को दिया जाता है। उन्होंने सहकारी ऋण समिति की स्थापना की थी।
- वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य में सर्वाधिक सहकारी बैंक कार्यरत हैं।
- भारत की सभी पंचवर्षीय योजनाओं में सहकारिता को महत्व दिया गया। यही कारण है कि आज देश में लाखों की संख्या में सहकारी समितियां लोगों को साथ लेकर चल रही हैं।
- भारत सरकार ने सन् 1951 में गोरवाला समिति का गठन किया जिसे अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण समिति के नाम से भी जाना जाता है। समिति ने 1954 में पेश अपनी रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता बढ़ाने पर बल दिया।
- सन् 1956 में पटना में अखिल भारतीय सहकारी सम्मेलन हुआ।
- सन् 1981 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य सहकारी बैंकों को पुनर्वित्त प्रदान करना था।
- भारत सरकार ने बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम 1942 के स्थान पर बहु राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम 1984 लागू किया। इसके बाद 2002 में 'बहु-उद्देश्यीय राज्य सहकारी समिति अधिनियम' लाया गया।
- देश में सहकारी समितियों के सर्वांगीण विकास के लिए सन् 2002 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा की।
- आज देश की लगभग 70 प्रतिशत जनता किसी न किसी रूप में सहकारिता से जुड़ी हुई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें