आज का दिन : 21 अक्टूबर 2024
पुलिस स्मृति दिवस
(Police Commemoration Day)
- प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
- वर्ष 1959 में 21 अक्टूबर को भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा में लगे पुलिस जवानों ने चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते से सीमा की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दे दिया। इसी बलिदान की स्मृति को चिरस्थायी रखने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इसे पुलिस दिवस भी कहा जाता है। वर्तमान में भी चीन से तनातनी चल रही है। लेकिन हमारे वीर जवान उसके हर मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं।
- पुलिस स्मृति दिवस-2024 के अवसर पर मुख्य समारोह का आयोजन नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर किया जाएगा। जिसकी अध्यक्षता परंपरागत रूप से केन्द्रीय गृह मंत्री करेंगे।
चीनी फौज के बड़े दस्ते का किया था मुकाबला
- केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक कंपनी को भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में 'हाट-स्प्रिंग' में तैनात किया गया था। जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल 'हाट-स्प्रिंग' में गश्त कर रहा था। तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया। तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
- सीआरपीएफ के इन्हीं बहादुर जवानों के बलिदान को देश के सभी केन्द्रीय पुलिस संगठनों व सभी राज्यों की सिविल पुलिस द्वारा 'पुलिस स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
- पुलिस स्मृति दिवस पर देशभर के सुरक्षा बलों यथा पुलिस, सीआरपीएफ आदि के द्वारा परेड सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, नई दिल्ली
- वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चाणक्यपुरी, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक देश को समर्पित किया था।
- राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पुलिस बलों में राष्ट्रीय पहचान, गर्व, उद्देश्यों में एकरूपता, एक समान इतिहास और भविष्य की भावना भरने के साथ-साथ उनकी इस प्रतिबद्धता को भी और मजबूत करता है कि उन्हें अपने प्राणों की कीमत पर भी देश की रक्षा करनी है।
- पुलिस स्मारक में एक केंद्रीय शिल्पकृति के अलावा 'शौर्य की दीवार' तथा एक संग्रहालय भी है। केंद्रीय शिल्पकृति के रूप में मौजूद एक 30 फीट ऊंचा ग्रेनाइट का एकल पाषाण खंड पुलिसकर्मियों की शक्ति, विनम्रता और नि:स्वार्थ सेवा का प्रतीक है।
- इसी प्रकार 'शौर्य की दीवार' जिस पर शहीदों के नाम उत्कीर्ण हैं, कर्तव्य के पथ पर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले पुलिस कर्मियों की बहादुरी और बलिदान के अचल प्रतीक के रूप में उपस्थित है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें