सशस्त्र सेना झंडा दिवस
(Armed Forces Flag Day)
आज का दिन : 7 दिसंबर 2024
- देश में प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है।
- सन् 1949 से प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जा रहा है।
- सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर आमजन द्वारा देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।
- 23 अगस्त 1947 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए सात दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का फैसला लिया।
- सशस्त्र सेना ध्वज दिवस पर छोटे-छोटे झंडे खरीद कर जनता तीनों सशस्त्र सेनाओं के प्रति अपना सम्मान प्रकट करती है। यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से खर्च की जाती है।
- सैनिक कल्याण बोर्ड भारत सरकार की सर्वोच्च संस्था है, जो पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के पुनर्वास और कल्याण के लिए नीतियां बनाता है। सशस्त्र बल ध्वज दिवस कोष को केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा प्रशासनिक रूप से नियंत्रित किया जाता है।
जब आप घर जाएं, तो उन्हें हमारे बारे में बताएं और कहें, आपके कल के लिए, हमने अपना आज दिया है।
- कोहिमा (नागालैंड) युद्ध स्मारक पर अंकित एक सैनिक का संदेश
- वर्ष 2022 में रक्षा मंत्री ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष के लिए ऑनलाइन योगदान को बढ़ावा देने के लिए नई वेबसाइट www.affdf.gov.in का शुभारंभ किया था।
- सशस्त्र बल फ्लैग डे कोष में कॉर्पोरेट योगदान कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत सीएसआर दायित्व को पूरा करने के लिए पात्र हैं क्योंकि यह 'सशस्त्र सेना के पूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं और उनके आश्रितों के लाभ के उपायों' का पालन करता है (अनुसूची VII का खंड VI) कंपनी अधिनियम, 2013) और सीएसआर गतिविधियों (पंजीकरण संख्या CSR00011199) करने के लिए कंपनियों के रजिस्ट्रार के कार्यालय, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ पंजीकृत है। फंड में योगदान आयकर से मुक्त है।
- सन् 1993 में सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष बनाया गया। पहले इसे सेना झंडा दिवस के नाम से जाना जाता था, बाद में सन् 1993 से सशस्त्र सेना झंडा दिवस नाम रखा गया।
- सशस्त्र झंडा दिवस बहादुर सैनिकों व उनके परिजनों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने का दिन है। इस दिन धनराशि का संग्रह किया जाता है। यह धन लोगों को झंडे का एक स्टीकर देकर एकत्रित किया जाता है। गहरे लाल व नीले रंग के झंडे के स्टीकर की राशि निर्धारित होती है। लोग इस राशि को देकर स्टीकर खरीदते हैं और उसे पिन से अपने सीने पर लगाते हैं। इस तरह वे शहीद या हताहत हुए सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। जो राशि एकत्रित होती है, वह झंडा दिवस कोष में जमा कर दी जाती है। इस राशि का उपयोग युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या हताहत हुए सैनिकों के कल्याण व पुनर्वास में खर्च की जाती है।
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