रविवार, 22 जून 2025

22 जून 2025 : विश्व ऊंट दिवस

विश्व ऊंट दिवस

(World Camel Day)

आज का दिन : 22 जून 2025
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  • प्रतिवर्ष 22 जून को विश्व ऊंट दिवस मनाया जाता है।
  • विश्व ऊंट दिवस मनाने का उद्देश्य लुप्त होते इस पशु के संरक्षण की दिशा में लोगों को जागरूक करना है।
  • माना जाता है कि प्रथम ऊंट दिवस 2009 में पाकिस्तान में मनाया गया। वैसे तो ऊंट का प्राकृतिक आवास गर्म प्रदेश हैं, जहां 21 जून का दिन विश्व का सबसे बड़ा दिन होता है। लेकिन वर्ष 2009 में 21 जून को रविवार को फादर्स डे होने के कारण विश्व ऊंट दिवस को एक दिन आगे बढ़ाकर 22 जून कर दिया गया। तब से यह दिवस प्रतिवर्ष 22 जून को मनाया जाता है। 21 जून और 22 जून में दिन की विशालता के मामले में मात्र 2 सैकंड का अंतर है।
  • ऊंट के प्राकृतिक आवास वाले देशों में 22 जून को विश्व ऊंट दिवस मनाया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्ष 2024 को अंतरराष्ट्रीय ऊंट वर्ष (International Year of Camelids,2024) के रूप में मनाया गया था। 20 दिसंबर, 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2024 को अंतराष्ट्रीय ऊंट वर्ष के रूप में मनाने संबंधी प्रस्ताव 72/210 पारित किया।

ऊंटों से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत में शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में ऊंट की अहम भागीदारी रही है।
  • भारत सरकार ने राजस्थान के बीकानेर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन 5 जुलाई, 1984 को उष्ट्र परियोजना निदेशालय की स्थापना की। इसके बाद 20 सितम्बर, 1995 को इसे क्रमोन्नत कर राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र का नाम दिया गया। यह बीकानेर शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर जोड़बीड़ क्षेत्र में स्थित है।
  • 'रेगिस्तान का जहाज' उपनाम से प्रसिद्ध यह पशु वाकई में जहाज का ही काम करता है। इसे एक बार चारा-पानी देने के बाद लगातार 40 दिन तक रेगिस्तान में परिवहन का कार्य करवाया जा सकता है।
  • सन् 1889 में बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने ऊंट सवार फौज तैयार की थी, जिसे गंगा रिसाला नाम दिया गया था। इसमें 500 ऊंट सवार सैनिक शामिल थे। गंगा रिसाला की ऊंट सवार फौज ने प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन की ओर से भाग लिया था।
  • वर्ष 1948 में भारतीय सेना में ऊंट दस्ते को शामिल किया गया। इसके बाद 1975 में भारतीय सेना ने इसे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सौंप दिया। वर्तमान में सीमा सुरक्षा बल में ऊंट सवार जवानों का एक दस्ता शामिल है। यह दस्ता मरुस्थल से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पेट्रोलिंग में जुटा हुआ है। पहली बार 1976 में 90 ऊंटों की टुकड़ी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनी थी।
  • ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है। राजस्थान सरकार ने 30 जून, 2014 को ऊंट को पशुधन श्रेणी में राज्य पशु घोषित किया। इसकी अधिसूचना 19 सितम्बर, 2014 को जारी की गई। चिंकारा राजस्थान का वन्य जीव श्रेणी में राज्य पशु है।
  • राजस्थान सरकार ने ऊंट को मारने पर 5 साल की सजा वाला कानून भी लागू कर रखा है।
  • भारत में ऊंटों की 9 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं। राजस्थान में बीकानेरी, मारवाड़ी, जैसलमेरी, मेवाड़ी, जालोरी, गुजरात में कच्छी और खराई, मध्य प्रदेश में मालवी और हरियाणा में मेवाती नस्ल के ऊंट पाए जाते हैं। सबसे प्रसिद्ध बीकानेरी व जैसलमेरी नस्ल है। यह एक कूबड़ वाला ऊंट है, जिसे अरबी ऊंट भी कहा जाता है। देश के कुल ऊंटों की आधी से अधिक संख्या राजस्थान में पाई जाती है।
  • दो कूबड़ वाला ऊंट केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की नूब्रा घाटी के ठंडे रेगिस्तान में पाया जाता है। इसे बैक्ट्रीयन ऊंट कहा जाता है।
  • अब सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा की निगरानी के लिए दो कूबड़ वाले ऊंट के उपयोग की रणनीति बनाई है।
  • राजस्थान के बीकानेर में प्रतिवर्ष जनवरी माह में ऊंट उत्सव का आयोजन किया जाता है। यहां मुख्यत: राईका व रैबारी समाज इस पशु का पालन करता है।
  • संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में ऊंटों का पहला अस्पताल खोला गया। यहां अलग से ऊंटनी के दूध की डेयरी भी स्थापित की गई है।
  • ऊंटनी का दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही टीबी, डायबिटीज, ऑटिज्म, दस्त, गठिया आदि के निदान में भी उपयोगी है। ऊंटनी के दूध में लौह तत्व विटामिनों का भंडार है, इसीलिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसे खाद्य आहार के रूप में मान्यता दी है।
  • आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में लगभग 50 देशों में 3 करोड़ से अधिक ऊंट हैं। लेकिन भारत में यह संख्या कम होती जा रही है। देश में 2019 में की गई 20वीं पशुधन गणना के अनुसार देश में मात्र 2.5 लाख ऊंट ही मौजूद थे। इनमें राजस्थान में 2.13 लाख ऊंट थे। जबकि 2012 की गणना में देश में लगभग 4 लाख और राजस्थान में 3.26 लाख ऊंट थे। गणना के अनुसार ऊंटों की गणना में बीकानेरी नस्ल का योगदान 29.6 प्रतिशत है।


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