संविधान दिवस
(Constitution Day)
आज का दिन : 26 नवंबर 2024
- प्रतिवर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।
- 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा देश के संविधान को स्वीकृत किया गया था, इसलिए प्रतिवर्ष संविधान दिवस मनाया जाता है।
- संविधान के जनक डॉ. भीमराव अंबेडकर को सम्मान देने के लिए संविधान दिवस मनाया जाता है।
- भारत सरकार ने सन् 2015 में संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी, तब से यह दिवस प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है।
- भारत सरकार 26 नवंबर, 2024 को संविधान अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आगामी वर्ष भर कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। यह समारोह 'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' अभियान के तहत आयोजित होगा। इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।
- 26 नवंबर, 2024 को संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति के नेतृत्व में उद्घाटन कार्यक्रम होगा।
- इस ऐतिहासिक समारोह वर्ष के लिए एक वेबसाइट constitution75.com भी बनाई गई है। देशभर में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन होगा। आम नागरिक वाचन के पश्चात् इस वेबसाइट पर अपने वीडियो अपलोड कर सकेंगे और प्रमाणपत्र भी डाउनलोड कर सकेंगे।
- 26 नवंबर को ही राष्ट्रीय विधि दिवस भी मनाया जाता है। विधि दिवस
प्रथम बार सन् 1979 में मनाया गया। हाल ही 1 सितंबर, 2024 से 31 अगस्त,
2027 तक तीन वर्षों की अवधि के लिए भारत के 23वें विधि आयोग का गठन किया
गया है।
हमारे संविधान की प्रस्तावना
"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्ïवास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26.11.1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"
**संविधान के 42वें संशोधन (1976) द्वारा प्रस्तावना में समाजवादी, पंथ निरपेक्ष व अखण्डता शब्द जोड़े गए हैं।
भारतीय संविधान की विशेषताएं
- भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- विश्व के सभी ज्ञात संविधानों के सर्वोत्तम लक्षणों को एकत्र करके भारतीय संविधान का निर्माण किया गया है।
- भारतीय संविधान में मूल अधिकारों की अवधारणा अमेरिकी संविधान से ली गई है। जबकि संसदीय शासन की प्रणाली यूनाइटेड किंगडम से ग्रहण की गई है।
- भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों को आयरलैंड के संविधान से और आपात उपबंध को जर्मनी के संविधान से लिया गया है।
- भारतीय संविधान में प्रशासनिक उपबंधों को भारत शासन अधिनियम 1935 से लिया गया है। सर्वप्रथम इस अधिनियम से ही भारत में संघात्मक सरकार की स्थापना की गई।
- भारत के संविधान में सरकार की संघात्मक प्रणाली को अपनाया गया है। संघात्मक संविधान के तहत मुख्य रूप से दो प्रकार की प्रणालियों की स्थापना की जा सकती है- अध्यक्षात्मक प्रणाली तथा संसदीय प्रणाली।
- अध्यक्षात्मक प्रणाली में राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान होता है। इस प्रणाली में कार्यपालिका की सभी शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होती है। राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। लेकिन मंत्रिमंडल के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अमेरिका में इसी प्रकार की अध्यक्षात्मक प्रणाली को अपनाया गया है।
- संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री कार्यपालिका का प्रमुख होता है व वास्तविक कार्यपालिका शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित होती है। मंत्रिपरिषद के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य होते हैं। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। भारत में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। इस प्रणाली में राष्ट्रपति कार्यपालिका का नाम मात्र का प्रधान होता है।
- भारत में आयरलैंड के संविधान की तरह निर्वाचित राष्ट्रपति का प्रावधान किया गया है। हालांकि राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका के शीर्ष पर है। लेकिन उसे मंत्रियों की सलाह पर कार्य करना होता है। राष्ट्रपति मंत्रियों की सलाह पर काम कर रहा है या नहीं, इसे न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है। यदि राष्ट्रपति संविधान के अनुसार काम नहीं कर रहा है तो उसको महाभियोग के सिवाय किसी अन्य तरीके से हटाया नहीं जा सकता।
- भारतीय संविधान संघीय व एकात्मक प्रणालीयों का सम्मिश्रण है। संविधान निर्माताओं का उद्देश्य एक दृढ़ और शक्तिशाली केंद्र सरकार की स्थापना था जो विपरीत परिस्थितियों में बाहरी आक्रमण के साथ-साथ आंतरिक विघटनकारी तत्वों से निपटने में सक्षम हो।
- संविधान के भाग 3 में नागरिकों के मूल अधिकारों की घोषणा की गई है। जनता के अधिकारों का संरक्षण लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का आधार होता है।
- भारतीय संविधान में मूल अधिकारों पर आवश्यकता पडऩे पर सार्वजनिक हित में निर्वचन लगाए गए हैं। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामाजिक हित में सामंजस्य स्थापित करना है।
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