राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
(National Education Day)
आज का दिन : 11 नवम्बर 2024
- प्रतिवर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
- देश में पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस सन् 2008 में मनाया गया।
- राष्ट्रीय शिक्षा दिवस स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती 11 नवंबर को मनाया जाता है।
- 11 नवम्बर, 1888 ई. में अबुल कलाम का जन्म सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। स्वतंत्र भारत में शिक्षा की नींव को सुदृढ़ बनाने में उनके योगदान को देखते हुए देश भर में 11 नवम्बर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिवर्ष 24 जनवरी को 'अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस' मनाया जाता है।
- अबुल कलाम आजाद महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध शिक्षाविद् थे। भारत सरकार ने उन्हें सन् 1992 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया। वे 11 वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति के अगुवा रहे।
- अबुल कलाम आजाद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.टी.आई.) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' की स्थापना की।
- स्वतंत्रता के बाद शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललितकला अकादमी (1954) की स्थापना में भी अबुल कलाम आजाद का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- 1 अप्रेल, 2010 को देश में 'अनिवार्य व नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा अधिकार का कानून-2009' लागू किया गया। इसके तहत 6 से 14 वर्ष की उम्र वाले बच्चों के लिए कक्षा 1 से 8वीं की शिक्षा नि:शुल्क व अनिवार्य की गई।
- हाल ही में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की घोषणा की गई है। इसमें भारत सरकार के मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इसके पहले सन् 1986 में आखिरी बार शिक्षा नीति लागू की गई थी।
भारत सरकार की ओर से देश में शिक्षा के क्षेत्र में चल रही विभिन्न योजनाएं और पहल
- पीएम श्री : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 सितंबर 2022 को पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को मंजूरी दी। इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के घटकों को प्रदर्शित करते हुए पूरे भारत में 14,500 से अधिक स्कूलों को मजबूत करना है।
- समग्र शिक्षा : 1 अप्रैल 2021 को शुरू की गई यह योजना 31 मार्च, 2026 को समाप्त होगी। यह विभिन्न छात्र समूहों में सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने और शैक्षणिक क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- उल्लास : इसे नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम-एनआईएलपी) के रूप में भी जाना जाता है। उल्लास को वित्त वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिए शुरू किया गया था।
- निपुण भारत : 5 जुलाई 2021 को समझ के साथ पढ़ने और अंकगणित में दक्षता के लिए राष्ट्रीय पहल 'निपुण भारत' शुरू की गई थी।
- विद्या प्रवेश : ग्रेड-I के बच्चों के लिए तीन महीने के खेल-आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल के लिए विद्या प्रवेश दिशानिर्देश 29 जुलाई 2021 को जारी किए गए थे।
- विद्यांजलि: 7 सितंबर 2021 को शुरू किए गए स्कूल स्वयंसेवक प्रबंधन कार्यक्रम 'विद्यांजलि' का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।
- दीक्षा: 5 सितंबर 2017 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू द्वारा 5 सितंबर 2017 को दीक्षा का शुभारंभ किया गया था। इस मंच का उद्देश्य शिक्षा में नवीन समाधानों और प्रयोगों में तेजी लाकर शिक्षक प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास को बढ़ाना है।
- स्वयं प्लस: 27 फरवरी 2024 को शुरू 'स्वयं प्लस' पहल उच्च शिक्षा में क्रांति लाने और उद्योग-प्रासंगिक पाठ्यक्रमों के लिए एक अभिनव क्रेडिट मान्यता प्रणाली को लागू करके कौशल विकास, रोजगार क्षमता और मजबूत उद्योग साझेदारी बनाने पर जोर देकर रोजगार क्षमता में सुधार करना चाहती है।
- निष्ठा: 21 अगस्त 2019 को शुरू की गई निष्ठा (स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिए राष्ट्रीय पहल) का उद्देश्य प्राथमिक शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों के व्यावसायिक विकास को बढ़ाना है।
- एनआईआरएफ रैंकिंग: 29 सितंबर 2015 को शुरू की गई राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों का मूल्यांकन और रैंकिंग की जाती है।
- पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना: पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना भारत भर के शीर्ष 860 संस्थानों में प्रवेश पाने वाले छात्रों के लिए शिक्षा ऋण प्रदान करती है, जिससे हर साल 22 लाख से अधिक छात्र लाभान्वित होते हैं।
एआईएसएचई रिपोर्ट 2021-22
- भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने जनवरी 2024 में उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2021-2022 जारी किया। इसके तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकन में वृद्धि दर्ज की गई है। महिला नामांकन 2014-15 में 1.57 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गए। 2021-22 में लिंग समानता सूचकांक (जीपीआई) 1.01 तक पहुंच गया, जो पुरुषों की तुलना में उच्च शिक्षा में अधिक महिला छात्रों के नामांकन की निरंतर प्रवृत्ति को उजागर करता है।
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