शनिवार, 16 नवंबर 2024

16 नवंबर 2024 : राष्ट्रीय प्रेस दिवस

राष्ट्रीय प्रेस दिवस

(National Press Day)

आज का दिन : 16 नवंबर, 2024

  • देश में प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।
  • आज ही के दिन सन् 1966 में भारतीय प्रेस परिषद् (Press Council of India) ने विधिवत कार्य शुरू किया था, तभी से प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।
  • राष्ट्रीय प्रेस दिवस को मनाने का उद्देश्य पत्रकारों को सशक्त बनाना है। यह दिन भारत में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति को बताता है।
  • प्रथम प्रेस आयोग ने देश में प्रेस परिषद की स्थापना का सुझाव दिया था। इसी के परिणामस्वरूप 4 जुलाई, 1966 को प्रेस परिषद की स्थापना की गई और 16 नवंबर, 1966 से इसने कार्य शुरू किया।
  • भारत में प्रेस को वाचडॉग कहा गया है, वहीं भारतीय प्रेस परिषद को मोरल वॉचडॉग की संज्ञा दी गई है।
  • 1 जनवरी 1976 को आन्तरिक आपातकाल के समय प्रेस परिषद् को भंग कर दिया गया। इसके बाद देश में सन् 1978 में नया प्रेस परिषद अधिनियम लागू हुआ और सन् 1979 में नए सिरे से प्रेस परिषद की स्थापना की गई।
  • प्रेस परिषद, प्रेस से प्राप्त या प्रेस के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार करती है। परिषद को सरकार सहित किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या निंदा कर सकती है या किसी सम्पादक या पत्रकार के आचरण को गलत ठहरा सकती है।
  • प्रेस परिषद के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  • भारतीय प्रेस परिषद के प्रमुख इसके अध्यक्ष हैं। यह परिपाटी चली आ रही है कि अध्यक्ष पद सामान्यत: उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत जज संभालते हैं। प्रथम अध्यक्ष न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.आर. मधोलकर थे। वे 16 नवंबर, 1966 से 1 मार्च 1968 तक इस पद पर रहे। वर्तमान में यानी सन् 2024 में भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष हैं- न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई।
  • परिषद् में 28 अन्य सदस्य हैं जिनमें से 20 प्रेस का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा मान्यता प्राप्त प्रेस संगठनों/समाचार एजेंसियों द्वारा नामित किये जाते हैं और श्रेणियों, जैसे: सम्पादकों, श्रमिक पत्रकारों तथा समाचारपत्रों व समाचार एजेंसियों के स्वामियों तथा प्रबंधकों के अखिल भारतीय निकायों के रूप में परिषद् द्वारा अधिसूचित किये जाते हैं।
  • इसके अलावा 5 सदस्य संसद के दोनों सदनों द्वारा नामित किये जाते हैं तथा तीन सदस्य साहित्य अकादमी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा भारतीय विधिज्ञ परिषद् के नामित के रूप में सांस्कृतिक, साहित्ययिक व विधिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सदस्य परिषद् को तीन वर्ष की सेवावधि तक सेवा प्रदान करते हैं। सेवानिवृत होने वाला सदस्य एक सेवावधि से ज्यादा के लिए पुन:नामित नहीं किया जा सकता।


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