राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस
(National Pollution Prevention Day)
आज का दिन : 2 दिसंबर 2024
- देश में प्रतिवर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस मनाया जाता है।
- सन् 1984 में 2-3 दिसंबर की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में घटित गैस त्रासदी में अपने प्राण गंवाने वाले लोगों की याद में 'राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस' मनाया जाता है।
- भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस के रिसाव के कारण लोगों की मौत हुई थी। जिसे एमआईसी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्रासदी विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक मानी जाती है।
- राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस को मनाने का उद्देश्य उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्रदूषण नियंत्रण का महत्व समझाते हुए लोगों को जागरूक करना है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- भारत में प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकारी निकाय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) कार्यरत है।
सीपीसीबी का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम वर्ष 1974 के अंतर्गत सितंबर वर्ष 1974 में किया गया था। - वर्तमान यानी वर्ष 2024 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष तन्मय कुमार हैं।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशालय और उनके अधिकार क्षेत्र वाले राज्य व केंद्रशासित प्रदेश इस प्रकार हैं-
- 1. क्षेत्रीय निदेशालय भोपाल - छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान
- 2. क्षेत्रीय निदेशालय बेंगलुरु - कर्नाटक, केरल, गोवा और लक्ष्यद्वीप
- 3. क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ - उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश
- 4. क्षेत्रीय निदेशालय कोलकाता - बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और अंडमान व निकोबर द्वीप समूह
- 5. क्षेत्रीय निदेशालय वडोदरा - गुजरात और दादर व नगर हवेली और दमन दीव
- 6. क्षेत्रीय निदेशालय चेन्नई - आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी
- 7. क्षेत्रीय निदेशालय पुणे - महाराष्ट्र
- 8. क्षेत्रीय निदेशालय चंडीगढ़ - पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख
- 9. क्षेत्रीय निदेशालय शिलांग - अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम और त्रिपुरा
- 10. परियोजना कार्यालय आगरा
- भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम के लिए वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम वर्ष 1981 में अधिनियमित किया गया था। यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करता है
- सीपीसीबी का मुख्य कार्य जल प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण द्वारा राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में कुओं और सरिताओं की स्वच्छता को सुधारना तथा देश में वायु प्रदूषण के निराकरण या नियंत्रण, निवारण के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है।
भारत में प्रदूषण रोकने के संबंध में निम्न अधिनियम मौजूद हैं-
- जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974
- जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) उपकर अधिनियम 1977
- वायु (प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986
- खतरनाक रसायनों का निर्माण, भंडारण एवं आयात अधिनियम 1989
- खतरनाक रसायनों का निर्माण, भंडारण, आयात और निर्यात
- सूक्ष्मजीव/अनुवांशिक रूप से अभियंत्रित किए गए जीवों या कोशिकाओं का निर्माण, उपयोग आयात, निर्यात और भंडारण अधिनियम 1989
- रासायनिक दुर्घटना (आपातकाल, नियोजन, तैयारी एवं प्रतिक्रिया) अधिनियम 1996
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और संचालन) अधिनियम 1998
- पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक निर्माण और उपयोग अधिनियम 1999
- ओजोन क्षयकारी पदार्थ (विनियमन) अधिनियम 2000
- ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) का अधिनियम 2000
- नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और संचालन) अधिनियम 2000
- बैटरियों (मैनेजमेंट और संचालन) अधिनियम 2001
- पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना नियम 2006।
- राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) अधिनियम 2010
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम, 2016
- खतरनाक और अन्य कचरा (प्रबंधन और सीमापार आवागमन-मैनेजमेंट एंड ट्रांसबाउंडरी मूवमेंट) अधिनियम 2016
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम, 2016
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम, 2016
- ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) अधिनियम, 2016
- निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम, 2016
वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष 7 मिलियन लोगों की मौत
- विश्व में दस में से नौ लोग स्वच्छ वायु में सांस नहीं लेते है।
- वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष सात मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है, जिनमें से चार मिलियन लोग घर के अंदर (इनडोर) वायु प्रदूषण से मरते हैं। एक माइक्रोस्कोपिक प्रदूषक (पीएम 2.5) इतना छोटा है, कि यह फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने के लिए श्लेष्मा झिल्ली और अन्य सुरक्षात्मक अवरोधों से गुजर सकता है।
- प्रमुख प्रदूषकों में कण पदार्थ, ईंधन जलने से उत्पन्न ठोस और तरल बूंदों का मिश्रण, सड़क यातायात से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, औद्योगिक सुविधाओं और वाहन उत्सर्जन से प्रदूषकों के साथ सूरज की रोशनी की प्रतिक्रिया के कारण जमीन के स्तर पर ओजोन; तथा कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न सल्फर डाइऑक्साइड और अदृश्य गैस शामिल है।
- वायु प्रदूषण से बच्चे और बुजुर्ग अत्यधिक प्रभावित होते हैं।
- जलवायु परिवर्तन के लिए वायु प्रदूषण भी उत्तरदायी है।
वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय:
- तीव्र आगमन के दौरान भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर चलने से बचें तथा यदि आपके साथ छोटा बच्चा है, तो उसे वाहन निकास के स्तर से ऊपर उठा लें।
- अपशिष्ट न जलाएं क्योंकि इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना।
- शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण कम करने के लिए वृक्षारोपण में वृद्धि करें जैसे कि शहरी वन और छतों पर पेड़ लगाएं।
- जब लाइट और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का उपयोग न करना हों तब इन्हें बंद कर दें।
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