अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस
(International Mountain Day)
आज का दिन : 11 दिसंबर 2025
International Mountain Day 2025 theme - Glaciers matter for water, food and livelihoods in mountains and beyond |
- प्रतिवर्ष 11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2002 में प्रतिवर्ष 11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इसके बाद पहली बार 11 दिसंबर, 2003 को पहला इंटरनेशनल माउंटेन डे (International Mountain Day) मनाया गया।
- अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस को मनाने की पृष्ठभूमि वर्ष 1992 में पर्यावरण और विकास पर हुए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में तैयार हुई थी। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2002 को 'अंतरराष्ट्रीय पर्वत वर्ष' के रूप में मनाया था।
- एक बार फिर पर्वतों के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2022 को सतत् पर्वतीय विकास का अंतरराष्ट्रीय वर्ष (International Year of Sustainable Mountain Development, 2022) के रूप में मनाया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 'सतत् पर्वतीय विकास का अंतरराष्ट्रीय वर्ष-2022Ó को मनाने का संकल्प 16 दिसंबर, 2021 को लिया था।
- अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाने का उद्देश्य पहाड़ों के महत्व और जैव समृद्धता के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही इनका विकास करना है। इस दिन को पहाड़ों में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पर्वतों पर दुनिया की 15 प्रतिशत यानी लगभग 1.1 बिलियन आबादी निवास करती है। वहीं दुनिया के 30 प्रतिशत जैव विविधता वाले क्षेत्र पहाड़ों पर पाए जाते हैं। सबसे बड़ी बात दुनिया की आधी आबादी को पीने का मीठा पानी का स्रोत भी पहाड़ ही हैं। लेकिन आज यही जीवनदायिनी पहाड़ अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं। पहाड़ों के ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से पिघल रहे हैं।
- यूएन के अनुसार दुनिया को भोजन उपलब्ध कराने वाली 20 प्रजातियों में से 6 (मक्का, आलू, जौ, टमाटर, सेब, ज्वार) पहाड़ों से ही उत्पन्न हुई हैं। पहाड़ धरती के 27 प्रतिशत हिस्से पर मौजूद हैं।
- सनातन संस्कृति में दीपावली पर्व के दौरान गोवर्धन के रूप में 'पर्वत पूजा' सम्मिलित है। इसके अलावा भी हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में पर्वत/पहाड़ों की परिक्रमा, पूजा आदि की परंपरा है।
*अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस-2025 का विषय/थीम*
Glaciers matter for water, food and livelihoods in mountains and beyond









